Friday, April 26, 2024
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ग्रीस रेफरेंडम: जनता ने खर्चों में कटौती को कहा 'NO'

ग्रीस: रविवार को ग्रीस में हुए जनमत संग्रह में जनता ने कर्जदाताओं की ओर से रखी गई कड़ी शर्तों को मानने से मना कर दिया है। दरअसल आईएमएफ और यूरोपियन यूनियन की ओर से नए

India TV Business Desk India TV Business Desk
Updated on: July 06, 2015 14:22 IST
रेफरेंडम में 'NO' के...- India TV Hindi
रेफरेंडम में 'NO' के बाद नेता विपक्ष और एफएम का इस्तीफा

ग्रीस: रविवार को ग्रीस में हुए जनमत संग्रह में जनता ने कर्जदाताओं की ओर से रखी गई कड़ी शर्तों को मानने से मना कर दिया है। दरअसल आईएमएफ और यूरोपियन यूनियन की ओर से नए बेल आउट पैकेज के लिए खर्चों में कटौती की कड़ी शर्त रखी गई थी। जिस पर हुए जनमत संग्रह में करीब 61 फीसदी मतदाताओं ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला है। जबकि महज 39 फीसदी लोग इसके पक्ष में दिखे। इसी बीच यूनान में विपक्ष के नेता ने इस्तीफा दिया। 

वहीं ग्रीस के वित्त मंत्री यानिस वेराओफाकिस के मुताबिक ग्रीस को यूरोजोन से बाहर नहीं किया जा सकता। संकट यह भी है कि अगर यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने नया कर्ज देकर तत्काल मदद नहीं की तो एक-दो दिन में ग्रीस के बैंकों की नकदी खत्म हो जाएगी। साथ ही नए भुगतान की तारीख पर ग्रीस फिर डिफाल्ट कर सकता है। फिलहाल ग्रीस में बैंक सात जुलाई तक बंद हैं।

जनमत संग्रह के नतीजों के बाद सोमवार को जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद पेरिस में मुलाकात कर सकते हैं। दोनों नेता यूनान के फैसले से पैदा हुईं स्थितियों पर चर्चा करेंगे। उधर, आर्थिक संकट के बीच यूनान के विदेश मंत्री निकोस कोत्जियास तीन दिनी यात्रा पर इजरायल पहुंचे हैं।

यूनान के वित्तमंत्री का इस्तीफा

यूनान के मुखर माने जाने वाले वित्तमंत्री यानिस वरूफाकिस ने आज कहा कि वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। वरूफाकिस ने यह घोषणा ऐसे समय में की है जब उनकी सरकार को राहत पैकेज की शर्तों पर जनमत संग्रह में भारी मतों से जीत मिली है। बीते कुछ महीनों में राहत पैकेज संबंधी वार्ताओं में प्राय: वार्ताकारों से उलझने वाले वरूफाकिस ने ट्वीटर पर इस घोषणा के बाद अपने ब्लाग पर लिखा है- जनमत संग्रह के परिणामों के तुरंत बाद ही मुझे पता चला कि यूरोग्रुप के कुछ भागीदार तथा चयनित ‘भागीदार’ नहीं चाहते थे कि मैं इसकी बैठकों में रहूं।’ उन्होंने कहा है- मैं आज वित्त मंत्रालय छोड़ रहा हूं। इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया कि जनमत संग्रह के परिणाम कतिपय ‘ बड़ी कीमत’ के साथ आए हैं। इसके साथ ही उन्होंने ऐसे समझौते की मांग की है जिसमें ‘रिण पुनर्गठन, कम मितव्ययता, जरूरतमंदों के लिए पुनर्वितरण व सच्चे सुधार’ आदि शामिल हों।

ग्रीस में अब आगे क्या... 

ग्रीस एक अनजान राह पर और यूरोप की साझा मुद्रा अनिश्चित भविष्य की ओर बढ़ गया है क्योंकि मतदाताओं ने अपने देश की दिवालिया अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उद्देश्य से दिए जाने वाले बेलआउट पैकेज के एवज में अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं द्वारा की जा रही मांगों को सिरे से खारिज कर दिया है। यूनान को दिए जाने वाले बेलआउट पैकेज के एवज में अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं की शर्तों को लेकर किए गए जनमत संग्रह में 61 फीसदी मत इसके विरोध में और 39 फीसदी मत इसके पक्ष में पड़े। गणना सभी 100 फीसदी मतों की हुई।

चार दशक से अधिक के समय में पहली बार यूनान में यह जनमत संग्रह हुआ, वह भी ऐसे समय पर जब देश में वित्तीय लेनदेन पर कड़ी रोक लगी है। यह रोक जनमत संग्रह के आह्वान के बाद तेजी से बढ़ते दिवालियापन को नियंत्रित करने के लिए पिछले सप्ताह लगाई गई।

सरकार के हजारों समर्थकों ने संसद के सामने सिन्ताग्मा चौक पर जश्न मनाते हुए यूनान के ध्वज लहराए और वे जोर जोर से नहीं, नहीं, नहीं कह रहे थे। एशियाई बाजारों की शुरूआती ट्रेडिंग से निवेशकों को खतरे का संकेत मिल गया था क्योंकि स्टॉक सूचकांक में तेजी से गिरावट आ गई थी। प्रधानमंत्री एलेक्सिस त्सिप्रास के लिए यह एक निर्णायक जीत है जिनकी पांच माह पुरानी गठबंधन सरकार का भविष्य दांव पर लगा था।

यूनान में विपक्ष के नेता ने इस्तीफा दिया 
यूनान के रूढिवादी विपक्ष के नेता एंतोनी समारास ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा ऐसे समय दिया गया है जबकि देश गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है। न्यू डेमाक्रेसी के प्रमुख व पूर्व प्रधानमंत्री समारास ने कल एक टेलीविजन संदेश में यह घोषणा की। उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि हमारे महान आंदोलन को एक नयी शुरआत की जरूरत है। मैं आज से नेतृत्व से इस्तीफा दे रहा हूं। उल्लेखनीय है कि जनवरी में राष्ट्रीय चुनावों में पार्टी की हार के समय भी उनके इस्तीफे की मांग उठी थी। वैसे उनका कार्यकाल 2016 में समाप्त होना था।

भारत पर कितना असर?

बाजार के तमाम विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था पर ग्रीस संकट का कोई खास असर नहीं होगा। हालांकि विदेशी बाजारों में ग्रीस के जनमत संग्रह के बाद गिरावट देखने को मिल सकती है। लेकिन लंबी अवधि में बाजार पर इसका कोई असर नहीं होगा। हाल में आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी कहा था कि ग्रीस संकट का भारत पर खास असर नहीं होगा।

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