Friday, April 26, 2024
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हिमाचल प्रदेश: एक महिला गांवों में चला रही मातृत्व की सुरक्षा का मिशन

कौशल्या की उम्र गांव-गांव घूमकर मातृत्व की सुरक्षा के लिए उपाय करने की नहीं रही लेकिन इसके बावजूद वह तमाम परेशानियों के बावजूद बीते 31 साल से चम्बा जिले के गांवों की महिलाओं को स्वास्थय सुविधाएं मुहैया कराने के मिशन में जुटी हैं।

IANS IANS
Updated on: April 28, 2016 14:58 IST
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चम्बा: कौशल्या की उम्र गांव-गांव घूमकर मातृत्व की सुरक्षा के लिए उपाय करने की नहीं रही लेकिन इसके बावजूद वह तमाम परेशानियों के बावजूद बीते 31 साल से चम्बा जिले के गांवों की महिलाओं को स्वास्थय सुविधाएं मुहैया कराने के मिशन में जुटी हैं। कौशल्या मुख्य रूप से प्रसव, बाल स्वास्थ्य सेवा, अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक साधन और गर्भनिरोध से जुड़े अन्य साधनों को महिलाओं तक पहुंचाने का काम कर रही हैं।

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58 साल की कौशल्या कालसुइन उप स्वास्थय केंद्र में कार्यरत हैं। यह चम्बा से 17 किलोमीटर दूर है। वह इस दुरुह स्थान पर बीते 28 साल से कार्यरत हैं। कौशल्या ने आईएएनएस से कहा, "यह अंत: प्रेरणा और अंतर्रात्मा की की आवाज है, जो मुझे प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिलाओं को मदद पहुंचाने के लिए मुझे बाध्य करती है। मुझे दफ्तर का काम खत्म होने के बाद भी काम करने में कोई परहेज नहीं। खराब मौसम भी कभी मेरी राह में आड़े नहीं आता। मैं 24 घंटे मातृत्व सम्बंधी स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए तैयार रहती हूं। "

अपनी नौकरी के दौरान कौशल्या ने 3000 से अधिक प्रसव कराए हैं। साथ ही वह इससे कहीं अधिक प्रसव सम्बंधी कार्य कर चुकी हैं। खास बात यह है कि कौशल्या ने जितने भी मामलों में हाथ लगाया है, वहां उन्हें 100 फीसदी सफलता मिली है और एक भी मामले में जच्चा या बच्चा की मौत नहीं हुई है और न ही कोई गर्भपात हुआ है।

कई मौकों पर कौशल्या ने ऐसे हालात का भी सामना किया है, जहां कन्या भ्रूण हत्या के लएि जोर दिया गया लेकिन कौशल्या ने साहस के साथ ऐसे लोगों को समझाया है। कौशल्या के अथक प्रयासों का नतीजा है कि छोटे और मझौले किसानों से युक्त इस इलाके में राज्य सरकार ने चुरी प्रखंड में स्थित कालसुइन उप स्वास्थ्य केंद्र को राज्य के एकमात्र 'प्रसव केंद्र' का दर्जा दिया है। राज्य सरकार ने महिला प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है।

इस केंद्र में पांच बिस्तर हैं। यहां एक प्रसव कक्ष भी है और एक बेबी केयर रूम भी है। यहां एक महिला एवं एक पुरुष स्वास्थय कर्मी कार्यरत हैं। कौशल्या के मुताबिक बीते एक दशक में उन्होंने 2500 से अधिक प्रसव किए हैं तथा जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिलाओं के अंदर 257 अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक साधन स्थापित किए हैं। कौशल्या का उप स्वास्थय केंद्र 18 गावों के 2000 लोगों को सेवाएं उपलब्ध कराता है।

अधिकांश समय में कौशल्या इस केंद्र पर कार्यरत एकमात्र स्वास्थयकर्मी होती हैं। यहां एक पुरुष स्वास्थय कर्मी की भी नियुक्ति का प्रावधान है लेकिन यहां कोई महिला रोग विशेषज्ञ या फिर बाल रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं होती। कौशल्या ने यहां कई आपातकालीन मामलों को सफलतापूर्वक निपटाया है क्योंकि इस केंद्र में नियुक्त विशेषज्ञों को समय-समय पर यहां से हटा लिया जाता है।

इस साल दिसम्बर में सेवानिवृत हो रहीं कौैशल्या ने कहा, "मैंने यहां प्रसव से पूर्व और प्रसव के बाद के सभी काम बखूबी किए हैं।" साल 1985 में कौशल्या ने महिला स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर राज्य स्वास्थ्य विभाग में काम शुरू किया था। शुरुआत में वह चम्बा जिले के बारमोर प्रखंड के डाल्ली में कार्यरत थीं।

तीन साल बाद कौशल्या को कालसुइन स्थानांतरित कर दिया गया। उस समय यहां का उप स्वास्थ्य केंद्र पंचायत की इमारत में था। इस केंद्र में मूलभूत सुविधाओं की कमी थी। कौशल्या ने तमाम कोशिशों के बाद इस स्वास्थ केंद्र को उपकरणों और सुविधाओं से सुसज्जित किया। बाद में यह स्वास्थ्य केंद्र नई इमारत में स्थानांतरित किया।

हिंदुस्तान लेटेक्स फेमिली प्लानिंग प्रोमोशन ट्रस्ट ने कौशल्या को प्रसव और बाल स्वास्थ्य सेवा के लिए प्रशिक्षित किया है। 1995 से कौशल्या ने घरों में जाकर प्रसव और बाल स्वास्थ्य सेवा का काम शुरू किया। 2005 से कौशल्या अपने उप केंद्र में प्रसव का काम देख रही हैं। राज्य सरकार ने कौशल्या के काम को पहचान देते हुए उन्हें 2010 में जिला स्तरीय पुरस्कार दिया और फिर 2011 में राज्य स्तरीय पुरस्कार से नवाजा।

हिमाचल प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां 2011 की जनगणना के मुताबिक 89.96 प्रतिशत लोग आज भी गावों में रहते हैं। कौशल्या के काम को समझने के लिए किसी को काम्पट्रोलर एंड आडिटर जनरल ऑफ इंडिया की ताजातरीन रिपोर्ट को पढ़ने की जरूरत है, जिसमें कहा गया है कि स्वास्थय सेवा मुहैया कराने की दिशा में हिमाचल की स्थिति इतनी खराब है कि राष्ट्रीय ग्राणी स्वास्थ्य मिशन के तहत इसके 84 फीसदी प्राथमिक स्वास्थय केंद्रों में 24 घंटे प्रसव सुविधा नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के 500 स्वास्थ्य केंद्रों में से 308 में प्रसव कक्ष नहीं है और 493 केंद्रों पर नवजात की देखभाल के लिए सुविधा नहीं है।2010-2015 के दौरान राज्य में कुल 668,442 महिलाओं के गर्भवती होने का पंजीकरण कराया गया था। इनमें से 53 फीसदी (354,022) को ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में उपयुक्त प्रसव सेवा मिल सकी जबकि लक्ष्य 70 फीसदी (467.909) का रखा गया था।

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