नई दिल्ली: राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित किराडू मंदिर अपनी शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था। इसे राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है। लेकिन दुख की बात तो यह है कि इस मंदिर को खजुराहो की तरह प्रसिद्धी नहीं मिल पाई है दिन के समय इस मंदिर के पास चहल-पहल रहती है लेकिन रात होते ही यह मंदिर सुनसान हो जाता है। यह मंदिर पिछले 900 सालों से सुनसान है सूरज ढलने के बाद यहां पर कोई भी नहीं आता है। कुछ लोगों का कहना है कि किराडू अपने समय में एक विकसित शहर था। दूसरी जगहों से लोग यहां पर व्यापार करने के लिए आते थे। लेकिन 12वी शताब्दी में यहां पर परमार वंश का शासन था। जिसके बाद से यह शहर सुनसान हो गया। इसे लेकर इतिहास में एक कथा प्रचलित है।
करीब 900 साल पहले परमार राजवंश यहां राज करता था। उन दिनों इस शहर में एक ज्ञानी साधु भी रहने आए थे। यहां पर कुछ दिन बिताने के बाद साधु देश भ्रमण पर निकले तो उन्होंने अपने साथियों को स्थानीय लोगों के सहारे छोड़ दिया। एक दिन सारे शिष्य बीमार पड़ गए और बस एक कुम्हारिन को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति ने उनकी देखभाल नहीं की। साधु जब वापिस आए तो उन्हें यह सब देखकर बहुत क्रोध आया। साधु ने कहा कि जिस स्थान पर दया भाव ही नहीं है वहां मानवजाति को भी नहीं होना चाहिए। उन्होंने संपूर्ण नगरवासियों को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया।
जिस कुम्हारिन ने उनके शिष्यों की सेवा की थी, साधु ने उसे शाम होने से पहले यहां से चले जाने को कहा और यह भी सचेत किया कि पीछे मुड़कर न देखे। लेकिन कुछ दूर चलने के बाद कुम्हारिन ने पीछे मुड़कर देखा और वह भी पत्थर की बन गई। इस श्राप के बाद अगर शहर में शाम ढलने के पश्चात कोई रहता था तो वह पत्थर का बन जाता था। और यही कारण है कि यह शहर सूरज ढलने के साथ ही वीरान हो जाता है।
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