नई दिल्ली: सियाचिन ग्लेशियर में तीन फरवरी को हिमस्खलन के कारण बर्फ में जिंदा दफन हो गए नौ सैनिकों के शव सोमवार को विमान से लद्दाख से दिल्ली लाए गए। शहीदों के शवों को दिल्ली से वायुसेना के विमानों से पुणे, बेंगलुरू, हैदराबाद, मदुरै, चेन्नई और तिरुवनंतपुरम भेज दिया गया। यहां से शवों को सैनिकों के गांव भेजा जाएगा।
दिल्ली के पालम हवाईअड्डे पर शहीदों के शव पहुंचने के समय केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह भी मौजूद थे। इन्होंने शहीदों के शवों पर पुष्पचक्र चढ़ाए।
सियाचिन ग्लेशियर की सोनम चौकी पर तैनात 10 जवान हिमस्खलन के कारण लगभग 30 फुट बर्फ के नीचे दफन हो गए थे।
इनमें से एक लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ को लगभग छह दिनों बाद जिंदा निकाला गया था। नई दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में इलाज के दौरान गुरुवार को उनका निधन हो गया था। कर्नाटक स्थित उनके गांव में शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया।
नौ अन्य जवानों के शव दुर्घटना के एक सप्ताह बाद मिले।
क्षेत्र में खराब मौसम के कारण उनके शव लद्दाख से लाए नहीं जा सके थे। शनिवार को थोड़े समय के लिए मौसम ठीक होने के दौरान उनके शव आधार शिविर लाए गए, लेकिन रविवार को ही उन्हें लेह पहुंचाना संभव हो पाया।
इन नौ शहीदों के नाम हैं -
1. सूबेदार नागेश टीटी, गांव तेजूर, जिला हासन, कर्नाटक।
2. हवलदार इलम अलई एम., गांव दुक्कम पाराई, जिला वेल्लोर, तमिलनाडु।
3. लांस हवलदार एस. कुमार, गांव कुमानन थोजू, जिला तेनी, तमिलनाडु।
4. लांस नायक सुधीश बी., गांव मोनरोएथुरुत, जिला कोल्लम, केरल।
5. सिपाही महेश पी.एन., गांव एचडी कोटे, जिला मैसूर, कर्नाटक।
6. सिपाही गणेशन जी., गांव चोक्काथेवन पट्टी, जिला मदुरै, तमिलनाडु।
7. सिपाही राम मूर्ति एन., गांव गुडिसा ताना पल्ली, जिला कृष्णागिरि, तमिलनाडु।
8. सिपाही मुश्ताक अहमद एस., गांव पारनापल्ली, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश
9. सिपाही (नसिर्ंग असिस्टेंट) सूर्यवंशी एस.वी., ग्राम मस्कारवाडी, जिला सतारा, महाराष्ट्र।